जिला न्यायवादी के पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात विलुप्त होती जा रही मंडयाली बोली, कला-संस्कृति, संगीत,साहित्य व यहां की जीवन शैली के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए प्रयासरत। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु 'मंडयाली महोत्सव', 'मेरे अपने', 'ओल्ड ब्वायज बैण्ड" जैसी संस्थाओं की स्थापना करके यह सांस्कृतिक यात्रा अभी भी जारी है। मंडयाली कविता संग्रह 'भाता री घेड़' प्रकाशित और इसी नाम से यूट्यूब चैनल तथा फेसबुक पेज पर मंडयाली कविताओं के माध्यम से यहां की संस्कृति के शब्द चित्र बना रहा हूं। वर्तमान में जिला न्यायालय में बतौर अधिवक्ता सेवाएं दे रहा हूं।